अब अनिल अंबानी के मददगारों का नंबर, मांगा जाएगा 17000 करोड़ के लोन फ्रॉड का हिसाब, ED की लिस्ट में किसके नाम?

अनिल अंबानी:- जाने-माने कारोबारी अनिल अंबानी के खिलाफ चल रहे ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले (Anil Ambani Loan Fraud Case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब उनके मददगार बैंकों को रडार पर ले लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईडी अब अनिल अंबानी के समूह, विशेष रूप से रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा से जुड़े लोन के मामले में लगभग 20 बैंकों के अधिकारियों से पूछताछ करने वाली है।

अनिल अंबानी और उनके समूह की मुश्किलें बढ़ीं
भारत के सबसे बड़े कारोबारी परिवारों में से एक, अंबानी परिवार का नाम एक बार फिर विवादों में है। अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की कंपनियों के शेयर हाल के दिनों में भारी गिरावट का सामना कर रहे हैं। 4 अगस्त को रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा दोनों कंपनियों के शेयर 5% तक गिर गए, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई।

ईडी का कदम: बैंकों से पूछताछ
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, यह जांच इस बात को लेकर हो रही है कि बैंकों ने अनिल अंबानी के समूह को ऋण देने के बाद क्या कदम उठाए थे। जांच एजेंसी यह जानना चाहती है कि क्या बैंकों ने किसी डिफॉल्टिंग कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की थी और क्या उन्होंने इस मामले को संबंधित एजेंसियों को रिपोर्ट किया था या नहीं। इसके अलावा, बैंकों द्वारा किए गए क्रेडिट असेसमेंट पर भी ईडी गहनता से नजर डालने वाली है।

बैंकों से पूछा जाएगा कि लोन देने से पहले क्या वे इस बात से वाकिफ थे कि ऋण की अदायगी में समस्याएं आ सकती हैं। ईडी अब इन सवालों का जवाब हासिल करने के लिए बैंकों के अधिकारियों को समन भेजने की योजना बना रही है।

अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ पहले से चल रही है जांच
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी को तलब किया था और उनके समूह से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। इस जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि अंबानी समूह की कंपनियों ने बैंक ऋण के लिए क्या तरीके अपनाए थे और क्या ये ऋण धोखाधड़ी की श्रेणी में आते हैं।

क्या है 17,000 करोड़ का लोन फ्रॉड मामला?
यह मामला रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा द्वारा बैंकों से लिए गए ₹17,000 करोड़ के लोन से जुड़ा हुआ है। इन लोन के डिफॉल्ट होने के बाद सरकार और बैंकिंग संस्थाओं ने मामले की जांच शुरू की थी। माना जा रहा है कि ये लोन किस तरह से जारी किए गए थे और इन कंपनियों ने उसे चुकाने में कितनी असावधानी बरती, इसकी जांच की जा रही है।

ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच
ईडी ने पहले ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू कर दी है और अब 5 अगस्त को अनिल अंबानी का बयान दर्ज करने का भी फैसला लिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी गड़बड़ी या धोखाधड़ी हुई हो, तो उसे कानूनी रूप से सही तरीके से जमानत दी जा सके।

बैंक अधिकारियों से पूछताछ और उनका सामना
इन बैंकों के अधिकारियों से पूछताछ करने से यह साफ होगा कि क्या उन्होंने ऋण देने से पहले अनिल अंबानी की कंपनियों की वित्तीय स्थिति का सही तरीके से मूल्यांकन किया था। इसके साथ ही, ईडी यह भी जांचेगा कि क्या बैंकों ने उनके द्वारा की गई डिफॉल्टिंग के बारे में समय रहते कार्रवाई की या नहीं।

आगे क्या होगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ईडी इन बैंक अधिकारियों से मिलने वाली जानकारी से अनिल अंबानी और उनके समूह के खिलाफ कोई ठोस सबूत प्राप्त कर पाती है। इस समय, अनिल अंबानी के समूह के शेयरों में भारी गिरावट हो रही है, और यदि ईडी की जांच में कोई नया खुलासा होता है, तो इससे अंबानी परिवार के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं।

निष्कर्ष
ईडी की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि अब अनिल अंबानी की कंपनियों और उनके मददगार बैंकों को लेकर जांच तेज हो चुकी है। यह मामला भारतीय वित्तीय क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इससे बैंकिंग धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं की गंभीरता सामने आ सकती है।

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