H-1B Visa: अमेरिकी सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने भारत को एक बड़ी धमकी दी है। ग्रीन ने कहा कि भारत के लिए H-1B वीजा को समाप्त कर देना चाहिए, क्योंकि ये अमेरिकी नौकरियां छीन रहे हैं। उनके इस बयान ने अमेरिका में भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के बीच तनाव को जन्म दे दिया है और इमिग्रेशन तथा नौकरी के मुद्दे पर बहस को फिर से उभारा है।
ग्रीन का यह बयान अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच आया है। इसके साथ ही, भारतीय कर्मचारियों के H-1B वीजा और अमेरिका में रोजगार की परिस्थितियां भी सवालों के घेरे में आ गई हैं।
मार्जोरी टेलर ग्रीन का बयान
ग्रीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को समर्थन दिया, जिसमें उन्होंने भारत से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाने की बात की थी। ट्रंप का यह बयान भारत के रूस से तेल खरीदने और उससे मोटा मुनाफा कमाने के मुद्दे से जुड़ा था। ग्रीन ने कहा, “अमेरिकी नौकरियों को रिप्लेस करने वाले भारतीयों का H-1B वीजा खत्म कर देना चाहिए।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में भारत से तेल खरीदने को लेकर विवाद बढ़ चुका है। ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदता है और उसे बेचकर लाभ कमा रहा है, जबकि अमेरिका के हितों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
क्या हो सकता है H-1B वीजा का भविष्य?
H-1B वीजा अमेरिका में कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, खासकर IT, इंजीनियरिंग, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में। 2024 में USCIS (यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस) के अनुसार, लगभग 70% H-1B वीजा भारतीयों को मिलते हैं। यह वीजा भारतीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब वे अमेरिकी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) के बाद अपनी करियर की शुरुआत करना चाहते हैं।
हालांकि, अब अमेरिकी सांसदों का मानना है कि H-1B वीजा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। रिपब्लिकन पार्टी ने H-1B लॉटरी सिस्टम को आलोचना की है और इसे सैलरी और अनुभव आधारित चयन प्रक्रिया में बदलने की मांग की है।
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक अस्थायी कार्य वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को भर्ती करने की अनुमति देता है। यह वीजा खासकर उन लोगों के लिए है जो उच्च कौशल वाले पेशेवर होते हैं, जैसे आईटी इंजीनियर या फाइनेंस प्रोफेशनल्स। भारतीय नागरिक इसके सबसे बड़े लाभार्थी हैं, और यह वीजा अमेरिका में लंबे समय तक काम करने और स्थायी निवास की दिशा में एक कदम माने जाते हैं।
क्या इसका असर होगा भारतीय प्रोफेशनल्स पर?
ग्रीन के बयान और अमेरिकी सांसदों की इस नई मांग से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और विदेशी छात्रों पर असर पड़ सकता है। यदि H-1B वीजा की प्रक्रिया में कोई बदलाव आता है या इसे पूरी तरह से खत्म किया जाता है, तो अमेरिका में भारतीयों के लिए रोजगार के अवसर सीमित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
मार्जोरी टेलर ग्रीन का यह बयान एक महत्वपूर्ण संदेश देता है, जो भारतीयों के लिए बहुत मायने रखता है। H-1B वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए एक महत्वूपूर्ण साधन रहा है, और इसकी समाप्ति से लाखों भारतीयों के अमेरिका में बसने और काम करने के सपने को धक्का लग सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर आने वाले दिनों में नई दिशा मिल सकती है। अब यह देखना होगा कि अमेरिकी सरकार इस पर किस तरह से प्रतिक्रिया देती है।