ट्रंप टैरिफ के डर बीच RBI देगा रक्षाबंधन गिफ्ट? EMI से लेकर होम लोन वालों के लिए हो सकता है बड़ा एलान

ट्रंप टैरिफ :- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बुधवार को एक अहम घोषणा हो सकती है। इस बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में 25 आधार अंकों की कटौती (Rate Cut) की घोषणा की जा सकती है, जिससे खासतौर पर होम लोन और अन्य कर्ज़दारों के लिए यह एक बड़ा रक्षाबंधन गिफ्ट हो सकता है।

क्या है रेपो रेट कटौती का असर?
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में एक और रेपो रेट कटौती के बाद क्रेडिट में बढ़ोतरी होने की संभावना है, जिससे त्योहारी सीजन में बेहतर आर्थिक गतिविधि देखी जा सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में अगस्त में हुई 25 आधार अंकों की कटौती से दिवाली तक 1,956 अरब रुपये का अतिरिक्त क्रेडिट प्रवाह हुआ था। इस दौरान पर्सनल लोन की हिस्सेदारी भी करीब 30% रही थी।

महंगाई के दायरे में है स्थिति
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि महंगाई RBI के निर्धारित दायरे में बनी हुई है। इससे RBI को रेपो रेट में कटौती के फैसले पर और विचार करने का अवसर मिल सकता है। अगर नीति में समय रहते बदलाव नहीं किया गया, तो यह आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

इस समय, RBI द्वारा रेपो रेट को एक फीसदी (100 आधार अंक) घटाया जा चुका है, और वर्तमान में रेपो रेट 5.5% है। इस कटौती से लोन की ब्याज दरों में गिरावट आई है, जो खासतौर पर होम लोन, पर्सनल लोन और EMI पर प्रभाव डालती है।

RBI का अगला कदम क्या होगा?
अगली बैठक में 25 आधार अंकों की कटौती से कर्ज़ की लागत कम हो सकती है, जिससे होम लोन और अन्य लोन वाले ग्राहकों के लिए EMI पर दबाव कम होगा। यह कटौती त्योहारी सीजन में खरीदारी को बढ़ावा दे सकती है, जिससे देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है।

ट्रंप टैरिफ का असर
जहां एक तरफ RBI की यह बैठक भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और ग्राहकों के लिए एक राहत का संदेश हो सकती है, वहीं दूसरी तरफ ट्रंप टैरिफ की वजह से वैश्विक महंगाई और बाजार पर दबाव भी बना हुआ है। इससे RBI को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत पड़ सकती है, ताकि घरेलू वित्तीय प्रणाली पर अधिक असर न हो।

निष्कर्ष

RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अगर रेपो रेट में कटौती की घोषणा होती है, तो इसका फायदा सीधे होम लोन लेने वालों को मिलेगा। इसके साथ ही, त्योहारी सीजन में इस कटौती से क्रेडिट प्रवाह में वृद्धि हो सकती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। ऐसे में, यह समय कर्ज़दारों के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है, खासतौर पर जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ इतनी अनिश्चित बनी हुई हैं।

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