रूस-अमेरिका तनाव से कच्चे तेल की आपूर्ति पर मंडराया संकट, 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है भाव

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ता तनाव: कच्चे तेल की कीमतों पर प्रभाव

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर संकट पैदा हो सकता है। विश्लेषकों के अनुसार, 2025 के अंत तक कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतें 80-82 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकती हैं। इस समय ब्रेंट क्रूड की कीमत 72.07 डॉलर प्रति बैरल है, जो एक महत्वपूर्ण बिंदु पर स्थित है।

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए 10-12 दिन की समय सीमा दी है। अगर रूस इस समय सीमा के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त नहीं करता, तो रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध और टैरिफ लगाए जा सकते हैं, जिससे तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।

कच्चे तेल के बाजार में नाटकीय बदलाव की संभावना

वेंचुरा सिक्योरिटीज के एनएस रामास्वामी का कहना है कि रूस-अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव का तेल बाजार पर नाटकीय प्रभाव पड़ सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है, जो अब 35-40 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। हालांकि, ट्रंप ने तेल की कीमतों को कम करने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन अमेरिकी आपूर्ति में वृद्धि होने में समय लगेगा।

ऊर्जा विश्लेषक नरेंद्र तनेजा का कहना है कि रूस का प्रतिदिन लगभग 50 लाख बैरल तेल निर्यात होता है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए बड़ा खतरा है। यदि रूस से तेल आपूर्ति में कमी आती है, तो कीमतें 100-120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, और यह संभावना है कि कीमतें इससे भी अधिक हो सकती हैं।

भारत पर असर: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देशों पर इस तेल संकट का बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जो रूस से बहुत अधिक कच्चे तेल पर निर्भर हैं। हालांकि भारत को 40 से अधिक देशों से तेल आयात मिलता है, जिससे तत्काल कच्चे तेल की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन खुदरा ईंधन की कीमतों को नियंत्रित करना और भी मुश्किल हो सकता है।

विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता के कारण 2026 तक तेल की कीमतें ऊँची बनी रह सकती हैं।

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