भारत-ब्रिटेन FTA अमेरिका के लिए रणनीतिक सबक, मिडिल ईस्ट मीडिया एंड रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में और क्या कहा?

भारत-ब्रिटेन:- मिडिल ईस्ट मीडिया एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार भारत-ब्रिटेन एफटीए अमेरिका के लिए एक सबक है। अमेरिका को भारत के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करना चाहिए, उसे एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखना चाहिए न कि प्रतियोगी के रूप में। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-ब्रिटेन एफटीए आपसी समझ और रणनीतिक जुड़ाव को दर्शाता है।

By Jagran News
Edited By: Mahipal choudhary
Updated: Sat, 04 Aug 2025 03:22 PM (IST)

भारत-ब्रिटेन FTA अमेरिका के लिए रणनीतिक सबक

नई दिल्ली। भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से प्रेरणा लेकर वर्तमान अमेरिकी प्रशासन के पास भारत के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने का अवसर है। एक प्रतियोगी के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझीदार के रूप में, जो साझा समृद्धि को बढ़ा सकता है। वाशिंगटन स्थित गैर-लाभकारी संस्था मिडिल ईस्ट मीडिया एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमईएमआरआइ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत-ब्रिटेन एफटीए अमेरिका के लिए सबक है और वार्ता की सफलता के लिए भारत-अमेरिका को इसे नए सिरे से शुरू करना होगा।

भारत-ब्रिटेन एफटीए की सफलता की तुलना

रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के साथ एफटीए करने में भारत की हालिया उपलब्धि अमेरिका के साथ उसकी व्यापार वार्ता में जारी तनावपूर्ण और लंबी वार्ताओं के बिल्कुल विपरीत है। इसमें कहा गया है कि भारत-ब्रिटेन के बीच एफटीए केवल एक व्यापार समझौता नहीं है, बल्कि यह आपसी समझ, रणनीतिक जुड़ाव और समावेशी विकास के लिए साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।

फेडरल रिजर्व की भूमिका में बदलाव

रिपोर्ट कहती है कि यह समझौता दो परिपक्व अर्थव्यवस्थाओं के बीच तीन वर्ष की बीच-बीच में रुकती रही, लेकिन अंतत: फलदायी वार्ता से तैयार हुआ, जिन्होंने दिखावे के बजाय व्यावहारिकता को चुना। ब्रेक्जिट के बाद की अपनी आर्थिक पहचान को आगे बढ़ाते हुए ब्रिटेन ने भारत को न केवल एक बाजार, बल्कि एक ऐसा साझीदार देखा, जिसका आर्थिक उत्थान उसकी अपनी औद्योगिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।

भारत-ब्रिटेन एफटीए और वैश्विक संबंधों की दिशा

इसके अनुसार, उन्नत विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल तकनीकों पर केंद्रित ब्रिटेन की आधुनिक औद्योगिक रणनीति, भारत के सुधार आधारित विकास पथ और 2027 तक 5 लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनने की उसकी आकांक्षा के साथ मेल खाती है।

भारत-ब्रिटेन समझौता केवल टैरिफ में कटौती तक ही सीमित नहीं है। इसने 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शून्य-शुल्क की पेशकश की और पेशेवरों के लिए गतिशीलता को सुव्यवस्थित किया।

भारत की आर्थ‍िक स्थिति और वैश्विक राजनीति

रिपोर्ट के अनुसार, अपनी व्यापक आर्थिक मजबूती और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के बावजूद भारत एक ऐसा देश है जहां एमएसएमई रोजगार की रीढ़ हैं, जहां कृषि अभी भी कीमतों के प्रति संवेदनशील है, और जहां प्रति व्यक्ति खपत विकसित अर्थव्यवस्थाओं से बहुत पीछे है।

अमेरिकी प्रशासन, पारस्परिक रियायतें पाने के लिए अक्सर इन वास्तविकताओं को नजरअंदाज करता है। उसे डर है कि भारत का हर लाभ अमेरिकी विनिर्माण की कीमत पर आता है। यह मानसिकता न केवल प्रगति को बाधित करती है, बल्कि एक ऐसे साझीदार को अलग-थलग करने का जोखिम भी उठाती है जिसका अमेरिका के साथ रणनीतिक गठबंधन मजबूत है।

Conclusion:
भारत-ब्रिटेन FTA ने यह सिद्ध कर दिया है कि व्यावहारिक और समावेशी दृष्टिकोण से ही दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी बनाई जा सकती है। यह अमेरिका के लिए एक संदेश है कि वह भारत को एक प्रतियोगी के रूप में नहीं, बल्कि एक सहयोगी के रूप में देखे, ताकि दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत हों।

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