अमेरिका के लिए कृषि और डेयरी सेक्टर नहीं खोलेगा भारत, सरकार का फोकस- चार ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी पर

कृषि और डेयरी सेक्टर:- भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत अमेरिका के लिए अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को नहीं खोलेगा। यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने और उसे चार ट्रिलियन डॉलर की दिशा में बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है, न कि 90 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यात के लिए। इस 90 अरब डॉलर में 30 अरब डॉलर के निर्यात पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के 25 प्रतिशत शुल्क का असर नहीं पड़ेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम फैसला

सूत्रों ने कहा कि भारत का यह कदम भारतीय किसानों और देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। भारत की आधी से अधिक आबादी कृषि और संबंधित क्षेत्रों से जुड़ी हुई है, और उनके जीवनयापन का मुख्य साधन यही है। अगर अमेरिकी कृषि उत्पाद सस्ते दामों पर भारतीय बाजार में आ जाएंगे, तो इससे भारतीय किसानों को भारी नुकसान होगा। इसके परिणामस्वरूप किसानों की फसलों के खरीदार नहीं मिलेंगे, जो सिर्फ भारतीय किसानों को नहीं, बल्कि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

व्यापार समझौते का असर नहीं होगा

भारत का कहना है कि चाहे अमेरिका के साथ कोई व्यापार समझौता हो या न हो, वह किसी भी हाल में कृषि उत्पादों और जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) आइटम्स को भारत में आने की अनुमति नहीं देगा। सूत्रों ने यह भी बताया कि कृषि और संबंधित सेक्टर के प्रभावित होने से भारतीय विकास दर में कमी आ सकती है, जो भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को तीन-चार साल के लिए टाल सकता है। हालांकि, भारत की योजना है कि चालू वित्त वर्ष 2025-2026 के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाए।

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कोई बदलाव नहीं

व्यापार वार्ता में भी भारत का रुख स्पष्ट है। सूत्रों के मुताबिक, 25 अगस्त से शुरू होने वाली द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा। अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता होने से अगले साल तक कुछ नुकसान की भरपाई की जा सकती है, लेकिन देश की 60 प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण करने वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था के नुकसान की भरपाई एक-दो साल में संभव नहीं है।

Leave a Comment